कश्मीर घाटी की पहली महिला हार्डकोर फोटो जर्नलिस्ट मस्सरत जहरा (26) आज युवतियों के लिए रोल मॉडल बनी हुई हैं। आज उन्हीं की तरह कई युवतियां कश्मीर में फोटो जर्नलिज्म को अपने पेशे के तौर पर चुनना चाहती हैं।
मस्सरत के अनुसार अगर आपके मन में किसी पेशे को चुनने की चाह है तो उसमें यह नहीं सोचना चाहिए कि यह महिलाओं के लिए सही नहीं। किसी की परवाह किए बिना उसे चुन लेना चाहिए। छोटी सी उम्र में फोटोजर्नलिज्म में अपना लोहा मनवाने वाली मससरत की युवतियों के लिए सलाह है कि इस पेशे में आने से पूर्व आप ठान लें कि इस पेशे में चुनौतियां बहुत हैं।
बता दें कि मस्सरत एक फ्रीलांस फोटो जर्नलिस्ट हैं। जिन्होंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी कश्मीर से वर्ष 2018 में जर्नलिज्म में परास्नातक की डिग्री प्राप्त की है। मस्सरत के अनुसार इस फील्ड में आने के बाद वह काफी चुनौती भरे और प्रेरणादायक अनुभव कर चुकी हैं। यहां के जमीनी हालातों से बड़े करीब से रूबरू हुई हैं।
उन्होंने बताया कि उनके द्वारा कई मुख्य एंकाउंटर, आतंकियों के जनाजे, पत्थरबाज़ी, प्रदर्शन, आदि जैसी कई गतिविधियों को अपने कैमरे में कैद किया गया है। इतना ही नहीं उन्हे डॉक्यूमेंट्री फोटोग्राफी में भी काफी रुचि है और वो कश्मीर की खूबसूरती को भी अपने कैमरे में कैद करती रहती हैं।
मस्सरत के अनुसार वो श्रीनगर के पुराने शहर की रहने वाली हैं जो अक्सर पत्थरबाजी और हिंसक प्रदर्शनों के लिए सुर्खियों में रहता है। बचपन से ही वह यह सब देखती आई हैं। बचपन में ऐसी घटनाओं को कवर करने के लिए अक्सर पुरुष फोटो जर्नलिस्ट को देख उनके मन में एक जुनून जागा। उन्होंने ठान ली कि वो फोटोजर्नलिज्म को अपने पेशे के तौर पर चुनेंगी।
मस्सरत ने बताया कि उनके लिए इस पेशे को चुनना इतना आसान नहीं था क्योंकि वह एक ऐसे रूढ़िवादी समाज का हिस्सा थीं जहां महिलाओं का इस पेशे में जाना सही नहीं समझा जाता था। गौरतलब है कि मससरत की कामयाबी को देख कई कश्मीर की युवतियाँ भी इस पेशे में आना चाहती हैं। उनको लेकर मस्सरत का कहना है कि लड़कियों को अपने जुनून को नहीं दबने देना चाहिए।